तुमने कहा-
अब एक घाट पर पानी पीयेंगे
बकरी और बघेरे
इसी भ्रम में हलाल होती रहीं बकरियां
तृप्त होते रहे बघेरे.
हमारे हिस्से में आया
काली दुनिया के सफेदपोशों की तर्जनी पर
कठपुतली की तरह नाचता तंत्र
कालिया नाग के फुफकार का मंत्र
और.....
पर्दानशीं तानाशाहों का रिमोट संचालित यंत्र
कार्पोरेट घरानों के कंप्यूटरों का डाटा
अंकेक्षकों की वार्षिक रिपोर्ट की प्रतिच्छाया
धन्ना सेठों का बही-खाता
जिसमें मात्र
आय-व्यय
लाभ-हानि के फर्जी आंकड़े
जिसमें हमारी रत्ती भर भागीदारी नहीं
हमारे लिये तो....
हाशिये में भी जगह खाली नहीं
और तुम्हारे हिस्से में.....?
मनचाही रोटियां सेंकने की
अंगीठी
शाही खजाने की चाबी
कई श्रेणियों का सुरक्षा घेरा
और ...
एक जादुई मुखौटा
जिसे जब चाहो लगा लो
जब चाहे हटा लो
पता नहीं यह
बाजार की आवारा पूंजी है
या आवारा पूंजी का बाजार
जो...हमारी श्वास नली में
घुयें के छल्ले की तरह रक्स करता
फेफड़ों में
बलगम की तरह जमता
हमारी जरूरियात के रास्ते में
रोडे की तरह बिछता जा रहा है
झूठ और पाखंड की यह
पैंसठ साला इमारत
दीमक का ग्रास बन चुकी है
इसके तमाम पाए खोखले हो चुके हैं
कभी भी धराशायी हो सकती है
ताश के पत्तों की तरह
अपने सर पर हाथ रखकर बोलो
क्या यह वही तंत्र है
जिसकी बुनियाद
वैशाली,मगध,तक्षशिला और पाटलीपुत्र में पड़ी थी
जिसकी कामना
रूसो, दिदरो और मांटेस्न्यू ने की थी
जिसका सपना
आजादी के दीवानों ने देखा था.
यह तंत्र तो
कबूतर की उड़ानों पर बंदिशें लगाता
और बाज के पंजे थपथपाता है
गौरैया का निवाला छीन
चील-कौओं की चोंच सहलाता है
कोयल की कूक पर झुंझलाता
और शेर की दहाड़ पर थिरकता है
यह हमारे हिस्से का नहीं
तुम्हारे हिस्से का जनतंत्र है
हमें अपने हिस्से का जनतंत्र चाहिए
और हम इसके लिये कोई अर्जी
कोई मांगपत्र नहीं सौंपेंगे
अपने दम पर हासिल करेंगे
चाहे इसके लिये
जो भी कीमत अदा करनी पड़े.
----देवेंद्र गौतम
अब एक घाट पर पानी पीयेंगे
बकरी और बघेरे
इसी भ्रम में हलाल होती रहीं बकरियां
तृप्त होते रहे बघेरे.
हमारे हिस्से में आया
काली दुनिया के सफेदपोशों की तर्जनी पर
कठपुतली की तरह नाचता तंत्र
कालिया नाग के फुफकार का मंत्र
और.....
पर्दानशीं तानाशाहों का रिमोट संचालित यंत्र
कार्पोरेट घरानों के कंप्यूटरों का डाटा
अंकेक्षकों की वार्षिक रिपोर्ट की प्रतिच्छाया
धन्ना सेठों का बही-खाता
जिसमें मात्र
आय-व्यय
लाभ-हानि के फर्जी आंकड़े
जिसमें हमारी रत्ती भर भागीदारी नहीं
हमारे लिये तो....
हाशिये में भी जगह खाली नहीं
और तुम्हारे हिस्से में.....?
मनचाही रोटियां सेंकने की
अंगीठी
शाही खजाने की चाबी
कई श्रेणियों का सुरक्षा घेरा
और ...
एक जादुई मुखौटा
जिसे जब चाहो लगा लो
जब चाहे हटा लो
पता नहीं यह
बाजार की आवारा पूंजी है
या आवारा पूंजी का बाजार
जो...हमारी श्वास नली में
घुयें के छल्ले की तरह रक्स करता
फेफड़ों में
बलगम की तरह जमता
हमारी जरूरियात के रास्ते में
रोडे की तरह बिछता जा रहा है
झूठ और पाखंड की यह
पैंसठ साला इमारत
दीमक का ग्रास बन चुकी है
इसके तमाम पाए खोखले हो चुके हैं
कभी भी धराशायी हो सकती है
ताश के पत्तों की तरह
अपने सर पर हाथ रखकर बोलो
क्या यह वही तंत्र है
जिसकी बुनियाद
वैशाली,मगध,तक्षशिला और पाटलीपुत्र में पड़ी थी
जिसकी कामना
रूसो, दिदरो और मांटेस्न्यू ने की थी
जिसका सपना
आजादी के दीवानों ने देखा था.
यह तंत्र तो
कबूतर की उड़ानों पर बंदिशें लगाता
और बाज के पंजे थपथपाता है
गौरैया का निवाला छीन
चील-कौओं की चोंच सहलाता है
कोयल की कूक पर झुंझलाता
और शेर की दहाड़ पर थिरकता है
यह हमारे हिस्से का नहीं
तुम्हारे हिस्से का जनतंत्र है
हमें अपने हिस्से का जनतंत्र चाहिए
और हम इसके लिये कोई अर्जी
कोई मांगपत्र नहीं सौंपेंगे
अपने दम पर हासिल करेंगे
चाहे इसके लिये
जो भी कीमत अदा करनी पड़े.
----देवेंद्र गौतम
NICE ONE....
जवाब देंहटाएंHAPPY FRIENDSHIP DAY....!!!!!!!
बेहतरीन ... लाजवाब नज्म ए देवेन्द्र जी ...
जवाब देंहटाएंगहरा क्षोभ और आक्रोश लिए ... जो सच भी है इस व्यवस्था के प्रति ...
बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंसार्थक भावाव्यक्ति...
सादर
अनु
यथार्थ व्यक्त करती रचना...
जवाब देंहटाएंआज का तंत्र है ही ऐसा तो आक्रोश तो होगा ही..
Loktantr neev hamare hee samaj ne to dalee hai!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना ,मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंहाशिए में भि जगह नहीं है!
जवाब देंहटाएंसही कहते हैं...
आज का सच बताती सार्थक रचना.
बस ऐसा ही आक्रोश जन जन में व्याप्त होना चाहिए .... देश की स्थिति की सही दशा दिखाती नज़्म ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही ...
जवाब देंहटाएंकल 08/08/2012 को आपकी किसी एक पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' भूल-भुलैया देखी है ''
हमें अपने हिस्से का जनतंत्र चाहिए
जवाब देंहटाएंऔर हम इसके लिये कोई अर्जी
कोई मांगपत्र नहीं सौंपेंगे
अपने दम पर हासिल करेंगे
चाहे इसके लिये
जो भी कीमत अदा करनी पड़े.
काश हर हिन्दुस्तानी ऐसा ही सोचे.
sochna to padega...swadheenta diwas kee poorv sandhya par sahi sthiti ka bayan karti kavita....
जवाब देंहटाएं१५ अगस्त को लोकतंत्र (?) के महापर्व का ढिंढोरा पीटने वाले ठगों का चीरहरण करती यह नज्म ...सचाई का साहसिक बयान है."भारत में जारी लोक तंत्र कुछ लोगों की गर्हित लोभ-लिप्साओं का पूर्ती तंत्र है " ..इस नंगी सचाई को यह देश जितनी जल्दी स्वीकार करेगा उतनी ही जल्दी दुनिया में अपनी भूमिका निभाने की दिशा में प्रस्थान करेगा...लोक तंत्र के इस शोक-गीत के बाद आपकी कलम से असली लोक तंत्र को हासिल करने के लिए लड़ रहे योद्धाओं के लिए एक युद्ध-गीत भी निकलेगा ऐसा मेरा विश्वास है..
जवाब देंहटाएंअवश्य पवन जी! शोक गीत के साथ युद्ध गीत भी हमें ही लिखना है. गौर करेंगे मैं मुझे नहीं हमें कह रहा हूं. यह हर भारतवासी का युद्ध होगा जो किसी न किसी रूप में लड़ा भी जा रहा है.
जवाब देंहटाएंअच्छा गीत है ...पर ये नज़्म क्यों है ...यह तो अतुकांत गीत है |
जवाब देंहटाएंभाई डा. श्याम गुप्ता जी! यह तो हमें सूझा ही नहीं था...यदि अतुकांत गीत को एक काव्य विधा के रूप में स्वीकार कर लिया जाये तो बिलकुल एक नई बात होगी...बात आपके ज़ेहन से निकली है इसपर एक विस्तृत पोस्ट की ज़रुरत है.....हमारा अनुरोध है कि आप इस चर्चा की पहल करें
जवाब देंहटाएंदेवेन्द्र जी .....अतुकांत कविता या गीत तो कोई नयी विधा नहीं है ...अतुकांत विधा की स्थापना तो निराला जी द्वारा की गयी थी | आजकल यही कविता सर्वाधिक प्रचलन में है और विश्व भर के साहित्य में कविता का यह रूप पाया जाता है | वेदों में मन्त्र व ऋचाएँ एवं संस्कृत साहित्य में श्लोक भी अतुकांत ही होते हैं|
जवाब देंहटाएंहाँ, प्रसंगवश यह कहा जा सकता है कि अतुकांत कविता की एक अन्य विधा 'अगीत-विधा' जो १९६६ से प्रचलित है मैं उसका विशेष प्रसार कर रहा हूँ एवं शीघ्र ही उसका शास्त्रीय छंद-विधान भी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ | इसके उदाहरण व विधान मेरे ब्लॉग "अगीतायन"(http://ageetaayan.blogspot.com) एवं श्याम स्मृति
(http://shyamthot.blogspot.com) पर देखे जा सकते हैं |
डॉक्टर साहब मैं अतुकांत .कविता अथवा निराला जी के केचुल छंद के बारे में तो जानता हूँ लेकिन अगीत विधा के बारे में कुछ नहीं जानता. आपके ब्लॉग को देखूंगा और समझने की कोशिश करूँगा.
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