हैवानों की बस्ती में इंसान कोई.
भूले भटके आ पहुंचा नादान कोई.
कहां गए वो कव्वे जो बतलाते थे
घर में आनेवाला है मेहमान कोई.
जाने क्यों जाना-पहचाना लगता है
जब भी मिलता है मुझको अनजान कोई.
इस तर्ह बेचैन है अपना मन जैसे
दरिया की तह में उठता तूफ़ान कोई.
अपनी जेब टटोल के देखो क्या कुछ है
घटा हुआ है फिर घर में सामान कोई.
धीरे-धीरे गर्मी सर पे चढ़ती है
उठते-उठते उठता है तूफ़ान कोई.
कितना मुश्किल होता है पूरा करना
काम अगर मिल जाता है आसान कोई.
सबसे कटकर जीना कोई जीना है
मिल-जुल कर रहने में है अपमान कोई?
उसके आगे मर्ज़ी किसकी चलती है
किस्मत से भी होता है बलवान कोई?
--देवेंद्र गौतम
भूले भटके आ पहुंचा नादान कोई.
कहां गए वो कव्वे जो बतलाते थे
घर में आनेवाला है मेहमान कोई.
जाने क्यों जाना-पहचाना लगता है
जब भी मिलता है मुझको अनजान कोई.
इस तर्ह बेचैन है अपना मन जैसे
दरिया की तह में उठता तूफ़ान कोई.
अपनी जेब टटोल के देखो क्या कुछ है
घटा हुआ है फिर घर में सामान कोई.
धीरे-धीरे गर्मी सर पे चढ़ती है
उठते-उठते उठता है तूफ़ान कोई.
कितना मुश्किल होता है पूरा करना
काम अगर मिल जाता है आसान कोई.
सबसे कटकर जीना कोई जीना है
मिल-जुल कर रहने में है अपमान कोई?
उसके आगे मर्ज़ी किसकी चलती है
किस्मत से भी होता है बलवान कोई?
--देवेंद्र गौतम
सबसे कटकर जीना कोई जीना है
जवाब देंहटाएंमिल-जुल कर रहने में है अपमान कोई?
बढ़िया चिंतन
bahut achchhi lagi gazal...
जवाब देंहटाएंआज 17- 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ..नमक इश्क़ का , एक पल कुन्दन कर देना ...ब्लॉग 4 वार्ता ...संगीता स्वरूप.
बेहतरीन गज़ल.
जवाब देंहटाएंbahut khoob!
जवाब देंहटाएंसबसे कटकर जीना कोई जीना है
मिल-जुल कर रहने में है अपमान कोई?
उसके आगे मर्ज़ी किसकी चलती है
किस्मत से भी होता है बलवान कोई?
तमाम अश्'आर एक से बढ़कर एक हैं
हमेशा की तरह …
:)
आदरणीय देवेन्द्र गौतम जी !
आशा है सपरिवार स्वस्थ सानंद हैं
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार