काढ लेती फन अचानक और बस फुफकारती.
जिंदगी की जंग बोलो किस तरह वो हारती.
देवता होते हैं कैसे हमने जाना ही नहीं
बस उतारे जा रहे हैं हर किसी की आरती.
अपना चेहरा ढांपकर मैं भी गुजर जाता मगर
जिंदगी भर जिंदगी को जिंदगी धिक्कारती.
सांस के धागों को हम मर्ज़ी से अपनी खैंचते
मौत आती भी अगर तो बेसबब झख मारती.
रात अंधेरे को अपनी गोद में लेती गयी
सुब्ह की किरनों को आखिर किसलिए पुचकारती
पूछ मुझसे किसके अंदर जज़्ब है कितनी जलन
मैं कि लेता आ रहा हूं हर दीये की आरती.
--देवेंद्र गौतम
जिंदगी की जंग बोलो किस तरह वो हारती.
देवता होते हैं कैसे हमने जाना ही नहीं
बस उतारे जा रहे हैं हर किसी की आरती.
अपना चेहरा ढांपकर मैं भी गुजर जाता मगर
जिंदगी भर जिंदगी को जिंदगी धिक्कारती.
सांस के धागों को हम मर्ज़ी से अपनी खैंचते
मौत आती भी अगर तो बेसबब झख मारती.
रात अंधेरे को अपनी गोद में लेती गयी
सुब्ह की किरनों को आखिर किसलिए पुचकारती
पूछ मुझसे किसके अंदर जज़्ब है कितनी जलन
मैं कि लेता आ रहा हूं हर दीये की आरती.
--देवेंद्र गौतम
ज़िन्दग़ी का फलसफा, कोई नहीं है जानता।
जवाब देंहटाएंज़िन्दग़ी को कोई भी, अब तक नहीं पहचानता।।
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आज के चर्चा मंच पर भी इस प्रविष्टि का लिंक है!
अपना चेहरा ढांपकर मैं भी गुजर जाता मगर
जवाब देंहटाएंजिंदगी भर जिंदगी को जिंदगी धिक्कारती.
सभी शेर एक से बढ़कर एक
बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंकाढ लेती फन अचानक
जवाब देंहटाएंकुछ अजीब सा लग रहा है ...उठा लेती फन अचानक ...शायद ...मुआफ़ कीजियेगा interruption के लिए ...ग़ज़ल सुन्दर लगी...
पूछ मुझसे किसके अंदर जज़्ब है कितनी जलन
जवाब देंहटाएंमैं कि लेता आ रहा हूं हर दीये की आरती...
उफ़ ... क्या शेर है ... इन शेरों की बस तारीफ़ ही की जा सकती है ... सुभान अल्ला ...
आपकी पोस्ट 27 - 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें ।
behtareen sher..badhiya ghazal
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