अपनी हरेक बात का मतलब भी बोलना.
लहज़ा बदल के बोलना तुम जब भी बोलना.
उनकी हरेक हां में मिलानी पड़ेगी हां
वो दिन को शब कहें तो उसे शब भी बोलना.
ताकि किसी तरह की मलामत नहीं रहे
पूछें अगर वो नाम तो मजहब भी बोलना.
मैंने सभी की बात सुनी और चुप रहा
कुछ चाहते हैं आज मेरे लब भी बोलना.
बाबू को याद रहती नहीं है किसी की बात
कुछ बात भूल जाते हैं साहब भी बोलना.
हांलाकि मैं दिखा चुका हूं सच का आईना
वो चाहते नहीं हैं मगर अब भी बोलना.
---देवेंद्र गौतम
लहज़ा बदल के बोलना तुम जब भी बोलना.
उनकी हरेक हां में मिलानी पड़ेगी हां
वो दिन को शब कहें तो उसे शब भी बोलना.
ताकि किसी तरह की मलामत नहीं रहे
पूछें अगर वो नाम तो मजहब भी बोलना.
मैंने सभी की बात सुनी और चुप रहा
कुछ चाहते हैं आज मेरे लब भी बोलना.
बाबू को याद रहती नहीं है किसी की बात
कुछ बात भूल जाते हैं साहब भी बोलना.
हांलाकि मैं दिखा चुका हूं सच का आईना
वो चाहते नहीं हैं मगर अब भी बोलना.
---देवेंद्र गौतम
Bahut lajawab gazal ... Alag andaz ke sher .. Man ko chute haim ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.
मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है
बढ़िया गजल कही है भाई....इसी तरह कहते रहिये.
जवाब देंहटाएंअच्छे शेर निकाले हैं....मुबारक हो....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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