चक्कर लगा के देख चुके आसमान का.
अब खौफ ही नहीं रहा अगली उड़ान का.
परछाइयों के बीच उसे ढूंढते हैं हम
शायद कोई वजूद हो वहमो-गुमान का.
मेरी हरेक बात में शामिल है और बात
मतलब निकालते रहो मेरे बयान का.
चारो तरफ है जाल बराबर बिछा हुआ
खतरा बना हुआ है परिंदे की जान का.
मुझमें सिमट के बैठ गया है जो एक शख्स
किरदार बन गया है मेरी दास्तान का.
बेचैनियों के बीच से होकर गुजर गया
इक पल अगर मिला भी कभी इत्मिनान का.
उसकी नजर गड़ी थी परिंदे की आंख पर
हर तीर था निशाने पर उसके कमान का.
दीवारे-दर को दे गया अपने तमाम अक्स
नक्शा बदल के रख दिया मेरे मकान का.
क्या जाने आज कौन सा मंजर दिखायी दे
बदला हुआ है रंग अभी आसमान का.
गौतम हमारी बात का गर तू बुरा न मान
हर लफ्ज़ आज बख्श दे अपनी जु़बान का.
--देवेंद्र गौतम
अब खौफ ही नहीं रहा अगली उड़ान का.
परछाइयों के बीच उसे ढूंढते हैं हम
शायद कोई वजूद हो वहमो-गुमान का.
मेरी हरेक बात में शामिल है और बात
मतलब निकालते रहो मेरे बयान का.
चारो तरफ है जाल बराबर बिछा हुआ
खतरा बना हुआ है परिंदे की जान का.
मुझमें सिमट के बैठ गया है जो एक शख्स
किरदार बन गया है मेरी दास्तान का.
बेचैनियों के बीच से होकर गुजर गया
इक पल अगर मिला भी कभी इत्मिनान का.
उसकी नजर गड़ी थी परिंदे की आंख पर
हर तीर था निशाने पर उसके कमान का.
दीवारे-दर को दे गया अपने तमाम अक्स
नक्शा बदल के रख दिया मेरे मकान का.
क्या जाने आज कौन सा मंजर दिखायी दे
बदला हुआ है रंग अभी आसमान का.
गौतम हमारी बात का गर तू बुरा न मान
हर लफ्ज़ आज बख्श दे अपनी जु़बान का.
--देवेंद्र गौतम
बहु ही बेहतरीन प्रस्तुति है जनाब,धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमेरी हरेक बात में शामिल है और बात
जवाब देंहटाएंमतलब निकालते रहो मेरे बयान का.
\वाह ... लाजवाब शेर हैं सभी इस गज़ल के ... मज़ा आ गया ... सुभानाल्ला ...
वाह ! लाजवाब ग़ज़ल ....!!
जवाब देंहटाएंसभी शेर बहुत ही उम्दा ....
कैसे लिख लेते हैं इतना अच्छा ....?
Very fine ghazal.
जवाब देंहटाएंbhot khub waaaaah
जवाब देंहटाएंkya baat hai bhaiya..." baat na band karein, warna kaise matalab nikalega , aapke bayaan ka..."
जवाब देंहटाएं