मौसमों की आजकल हमपर नवाजिश हो रही है.
रोज आंधी आ रही है, रोज बारिश हो रही है.
रात-दिन सपने दिखाये जा रहे हैं हम सभी को
बैठे-बैठे आस्मां छूने की कोशिश हो रही है.
शक के घेरे में पड़ोसी भी हैं लेकिन दरहकी़कत
घर के अंदर घर जला देने की साजिश हो रही है.
मौत भी क्या-क्या तमाशे कर रही है जा ब जा अब
जिन्दगी की हर कदम पर आजमाइश हो रही है.
जंगलों में आजकल इन्सान देखे जा रहे हैं
और शहरों में दरिंदों की रहाइश हो रही है.
अब यहां कुदरत की खुश्बू की कोई कीमत नहीं है
हर तरफ कागज के फूलों की नुमाइश हो रही है.
---देवेंद्र गौतम
waah kyaa baat hai ....gazab likhte hain gautam ji ....
जवाब देंहटाएंmtla to lajwaab hai ....!!
waaaaaaaaaah bhot khub
जवाब देंहटाएंरात-दिन सपने दिखाये जा रहे हैं हम सभी को
जवाब देंहटाएंबैठे-बैठे आस्मां छूने की कोशिश हो रही है....
तभी तो सपने जल्दी टूट रहे हैं ... फिर हाताशा ही रह जाती है ...
हर शेर उम्दा ... लाजवाब गज़ल ...