दर्द को तह-ब-तह सजाता है.
कौन कमबख्त मुस्कुराता है.
और सबलोग बच निकलते हैं
डूबने वाला डूब जाता है.
उसकी हिम्मत तो देखिये साहब!
आंधियों में दिये जलाता है.
शाम ढलने के बाद ये सूरज
अपना चेहरा कहां छुपाता है.
नींद आंखों से दूर होती है
जब भी सपना कोई दिखाता है.
लोग दूरी बना के मिलते हैं
कौन दिल के करीब आता है.
तीन पत्तों को सामने रखकर
कौन तकदीर आजमाता है?
---देवेंद्र गौतम
waaaaaaah
जवाब देंहटाएंbehad sundar gajal
जवाब देंहटाएंदर्द को तह-ब-तह सजाता है.
जवाब देंहटाएंकौन कमबख्त मुस्कुराता है.
.........lajawaab!
bahut khoob ghazal kahi hai....bilkul bolchal kee zubaan men...badhai!
जवाब देंहटाएंउसकी हिम्मत तो देखिये साहब!
जवाब देंहटाएंआंधियों में दिये जलाता है.
कितना मुख्तलिफ़ अंदाज़ में कहा है अपनी बात को ...
बहुत ही लाजवाब शेर है देवेन्द्र जी ... पूरी गज़ल पे दाद देने को मन करता है ...
afyon
जवाब देंहटाएंmuğla
batman
hakkari
artvin
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