जितनी जंजीरें हैं उनपर चोट करेगा
वो बारूद का पुतला है, विस्फोट करेगा.
वक्त का पहिया कुछ तेजी से घूमेगा
काम मगर इंसानों का रोबोट करेगा.
वो बिल्कुल खामोश रहेगा महफिल में
चुपके-चुपके सबकी बातें नोट करेगा.
पहले खाकी वर्दी वाले लूटेंगे
बाकी जो करना है काला कोट करेगा.
बैलट पर जितने चेहरे हैं दागी हैं
सोचे अब मतदाता किसको वोट करेगा.
आज का रावण, आज की सीता, या मालिक
कितना परदा इक तिनके की ओट करेगा.
---देवेंद्र गौतम
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आपकी हर ग़ज़ल ही लाजबाब हैं.
जवाब देंहटाएंWah! Iske aage aur kuchh nahee kah saktee!
जवाब देंहटाएंपहले खाकी वर्दी वाले लूटेंगे
जवाब देंहटाएंबाकी जो करना है काला कोट करेगा.
बहुत ही लाजवाब ... कमाल के काफिये और जबरदस्त गज़ल ...
मज़ा आ गया देवेन्द्र जी ...
बहुत सुन्दर ग़ज़ल.. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (15.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरचना अच्छी लगी ….दैनिक जागरण में आपकी लिखी कहानी पढ़ी … यथार्थ पर आधारित लगी.
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाओं के साथ
samyik evam chintan pradhan rachana. Kripya kabhi mere bhi blog par padharen . aapka swagat hai
जवाब देंहटाएंkarabük
जवाब देंहटाएंtunceli
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