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रविवार, 18 अक्टूबर 2015

हमको जिसका मलाल था क्या था

कोई सुर था न ताल था क्या था
बेख़ुदी का धमाल था क्या था
ख्वाब था या खयाल था क्या था
हमको जिसका मलाल था क्या था
तुमने पत्थर कहा, खुदा हमने
अपना-अपना ख़याल था क्या था
आग भड़की तो किस तरह भड़की
जेहनो-दिल में उबाल था क्या था
सारे किरदार एक जैसे थे
हर कोई बेमिसाल था क्या था
मौत को हम गले लगा बैठे
ज़िन्दगी का सवाल था क्या था
रास्ते बंद हो चुके थे क्या
आना-जाना मुहाल था क्या था
जिससे रफ़्तार की तवक़्क़ो थी
काले घोड़े की नाल था क्या था
कोई बाज़ी लगी थी आपस में
या कि सिक्का उछाल था क्या था
देवेन्द्र गौतम 08860843164

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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