आखिर कहां से लाइए सब्रो-करार और.
अच्छे दिनों का कौन करे इंतजार और.
कुछ रहगुजर पे धूल भी पहले से कम न थी
कुछ आपने उड़ा दिए गर्दो-गुबार और.
बिजली किधर से दौड़ रही थी पता नहीं
हर तार से जुड़ा हुआ था एक तार और.
शायद अभी यक़ीन का दर हो खुला हुआ
चक्कर लगा के देखते हैं एक बार और.
हम उनकी अक़ीदत की कहानी भी कहेंगे
चढ़ने दे अभी आंख में थोड़ा खुमार और.
हमलोग तो बिगड़े हुए हालात हैं गोया
खाना है अभी वक्त के चाबुक की मार और.
मैंने कहा किसी की दुआ काम न आई
उसने कहा ख़ुदा पे करो ऐतबार और.
आसां नहीं है वक्त के फंदों को काटना
कितना भी करा लाइए चाकू में धार और
गौतम जो सामने है उसी को कुबूल कर
माना बचे हुए हैं अभी जां-निसार और.
चलते कदम मिला के जमाने के कदम से..,
जवाब देंहटाएंहोते जो हम भी औरों से जरा होशियार और.....
शुक्रिया नीतू जी।
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