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शनिवार, 14 जनवरी 2023

पारस छू ले लोहे से सोना बन जा.

 

तू पतझड़ में एक हरा पौधा बन जा.

पारस छू ले लोहे से सोना बन जा.

 

मौके मुश्किल से मिलते हैं, लाभ उठा

इस चेहरे को बदल नया चेहरा बन जा.

 

नई बिसातों से कुछ बात नहीं बनती

बिछी बिसातों के अंदर मोहरा बन जा.

 

बहुत दिनों तक दबा के रखे राज़ कई

अब सच के दरवाजे का पर्दा बन जा.

 

साये बदन से ज्यादा कीमत रखते हैं

जिसका बदन दिखे उसका साया बन जा

 

कल तक सबकी प्यास बुझाती ऐ नदिया! 

आज समंदर से मिलकर खारा बन जा.

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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