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गुरुवार, 26 जनवरी 2023

पुराने घर गिराए जा रहे हैं.

 पुराने घर गिराए जा रहे हैं.

निशां सारे मिटाए जा रहे हैं.

 

कई चेहरे छुपाए जा रहे हैं.

कई चेहरे दिखाए जा रहे हैं.

 

उन्हें हमसे गरज कुछ भी नहीं है

हमीं रिश्ता निभाए जा रहे हैं.

 

बजाहिर बात करते हैं गुलों की

मगर कांटे बिछाए जा रहे हैं.

 

वहीं पर जुर्म के धब्बे मिटेंगे

जहां मुजरिम बनाए जा रहे हैं.

 

भले ही कान पकते हों सभी के

वो अपनी धुन में गाए जा रहे हैं.

 

हमीं जयकार करते हैं हमेशा

हमीं पे जुल्म ढाए जा रहे हैं.


-देवेंद्र गौतम

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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