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रविवार, 19 फ़रवरी 2023

दोस्ती के नाम पे कुर्बान हो जाना पड़ा

 

लाख दानां थे, हमें नादान हो जाना पड़ा. दानां-बुद्धिमान

दोस्ती के नाम पे कुर्बान हो जाना पड़ा.

 

वो अचानक सामने हथियार लेकर आ गए

फिर हमें भी जंग का मैदान हो जाना पड़ा.

 

सांस की आवाज़ भी मंजूर होने को न थी

जान प्यारी थी हमें, बेजान हो जाना पड़ा.

 

देवता के भेष में फिरता हुआ चारो तरफ

एक दानव था जिसे इंसान हो जाना पड़ा.

 

उनके चेहरे के मुखौटे का पता हमको भी था

जानकर लेकिन हमें अनजान हो जाना पड़ा.

 

आपकी झोली बड़ी होती गई, भरती गई

आप निर्धन थे मगर धनवान हो जाना पड़ा.

-देवेंद्र गौतम

 


6 टिप्‍पणियां:

कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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