भाई नीरज गोस्वामी जी! इच्छा तो मेरी भी थी कि कत्ता के जरिये कही हुई मेरी बात गलत साबित हो..लेकिन अन्ना हजारे के खिलाफ जिस तरह कई मोर्चे खोल दिए गए हैं और आन्दोलन में फूट डालने की जिस तरह कोशिश चल रही है उसे देखते हुए लगता नहीं कि बात गलत साबित होगी. बहरहाल बदली परिस्थितियों पर मैंने अपने दूसरे ब्लॉग "सुनो भई साधो.." में एक टिपण्णी "खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे.." पोस्ट की है. आपके मेल पर उसका लिंक भेजा भी है. समय मिले तो उसे देखिएगा. ---देवेन्द्र गौतम
siyaasati chaal ka yahi andaaj hota hai
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंये सियासत का ही एक अंदाज़ है
जवाब देंहटाएंझुक गए हैं और तनने के लिए.
वाह..क्या खूब ...कटाक्ष किया है.
बहुत सुन्दर कता है देवेन्द्र जी. निश्चित रूप से जनादेश के सामने झुकना भी कुशल राजनीति और प्रत्युत्पन्नमति का ही परिणाम है.
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सही.
जवाब देंहटाएंwah.kya pahchane hain siyasat ki chal.....
जवाब देंहटाएंसरोकार से जुड़ना
जवाब देंहटाएंअच्छा है ...
Aap ki baat sahi hai...lekin kaash!!! ye galat sabit ho...
जवाब देंहटाएंNeeraj
भाई नीरज गोस्वामी जी!
जवाब देंहटाएंइच्छा तो मेरी भी थी कि कत्ता के जरिये कही हुई मेरी बात गलत साबित हो..लेकिन अन्ना हजारे के खिलाफ जिस तरह कई मोर्चे खोल दिए गए हैं और आन्दोलन में फूट डालने की जिस तरह कोशिश चल रही है उसे देखते हुए लगता नहीं कि बात गलत साबित होगी. बहरहाल बदली परिस्थितियों पर मैंने अपने दूसरे ब्लॉग "सुनो भई साधो.." में एक टिपण्णी "खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे.." पोस्ट की है. आपके मेल पर उसका लिंक भेजा भी है. समय मिले तो उसे देखिएगा.
---देवेन्द्र गौतम
jhuk gaye ...tanne k liye----vah,subhan allah
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