समर्थक

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

हमने दुनिया देखी है

भूल-भुलैया देखी है.
हमने दुनिया देखी है.

उतने की ही बात करो
जितनी दुनिया देखी है.

हमने झिलमिल पानी में
अपनी काया देखी है.


तुमने मन के उपवन में
सोनचिरईया देखी है?

उसको देख नहीं पाया
उसकी माया देखी है.

इक मुद्दत के बाद यहां
इक गोरैया देखी है.

आती-जाती लहरों में
डगमग नैया देखी है.

--देवेंद्र गौतम  


10 टिप्‍पणियां:

  1. मन के उपवन में सोन चिरैया...
    बहुत सुन्दर!!!!

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. सचमुच दुनिया एक भूल-भुलैया जैसी ही तो है. ये शेर तो गागर में सागर जैसे हैं. बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  3. .

    "उसको देख नहीं पाया
    उसकी माया देखी है"
    बहुत ख़ूबसूरत शे'र है …

    पूरी ग़ज़ल काबिले-ता'रीफ़ है
    आदरणीय देवेन्द्र गौतम जी
    सादर प्रणाम !

    जवाब देंहटाएं
  4. हमने झिलमिल पानी में
    अपनी काया देखी है.

    वाह ... लाजवाब शेर है इस बेहतरीन गज़ल का ... छोटी बहर की मस्त गज़ल ..

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी लगीं यह गजल|
    "हमने झिलमिल पानी में
    अपनी काया देखी है "
    सुन्दर भाव लिए पंक्ति
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह! वाह! बहुत उम्दा गजल....
    आनंद आ गया...
    सादर.

    जवाब देंहटाएं

कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

अच्छी-बुरी जो भी हो...प्रतिक्रिया अवश्य दें