शिकारी जा चुके लेकिन
मचान हैं साहब!
मकीं को ढूंढते खाली
मकान हैं साहब!
वो जिनको तीर चलाने का
फन नहीं आता
उन्हीं के हाथ में सारे
कमान हैं साहब!
जो बोल सकते थे अपनी
ज़ुबान बेच चुके
जो बेज़ुबान थे वो बेज़ुबान
हैं साहब!
हमारी बात अदालत तलक
नहीं पहुंची
जो दर्ज हो न सके वे
बयान हैं साहब!
बस उनके खून-पसीने की
कमाई दे दो
ज़मीं को सींचने वाले
किसान हैं साहब!
जड़ों से उखड़ा हुआ पेड़
हूं मगर अबतक
मेरे वजूद के कुछ तो
निशान हैं साहब!
-देवेंद्र गौतम
वाह ... हकीकत में डूबे शेर ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब गज़ल है ...
Waaaah.... Bahut khoob Gazal hai...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 2 फरवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
वाह क्या बात कही आपने👍
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल...👌
वो जिनको तीर चलाने का फन नहीं आता
जवाब देंहटाएंउन्हीं के हाथ में सारे कमान हैं साहब!
हर शेर गज़ब । बेहतरीन 👌👌👌👌
बस उनके खून-पसीने की कमाई दे दो
जवाब देंहटाएंज़मीं को सींचने वाले किसान हैं साहब
वाह!!!
लाजवाब गजल।
हमारी बात अदालत तलक नहीं पहुंची
जवाब देंहटाएंजो दर्ज हो न सके वे बयान हैं साहब!
हर एक शेर दिल में उतरता हुआ।
वाह बहुत ही सुंदर ग़ज़सल ज़नाब @@
जवाब देंहटाएंNice Sir .... Very Good Content . Thanks For Share It .
जवाब देंहटाएं( Facebook पर एक लड़के को लड़की के साथ हुवा प्यार )
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