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गुरुवार, 9 जून 2011

क्या ढोते बेकार के रिश्ते.

("OBO लाइव महा उत्सव" अंक ८...में प्रस्तुत)

तोड़ दिए संसार के रिश्ते. 
क्या ढोते बेकार के रिश्ते.

स्वर्ग-नर्क के बीच मिलेंगे 
इस पापी संसार के रिश्ते.

रोज तराजू में तुलते हैं
बस्ती और बाज़ार के रिश्ते.




खून के रिश्तों से भी ज्यादा
गहरे हैं व्यवहार के रिश्ते.

धीरे-धीरे टूट रहे हैं
आंगन से दीवार के रिश्ते.

टूट गए अबके आंधी में 
कश्ती और पतवार के रिश्ते.

सबकी आंखों में खटकेंगे 
हम दोनों के प्यार के रिश्ते.

किस खूबी से निभा रहे हैं
हम तलवार की धार के रिश्ते.

दो मुल्कों में ठनी  है लेकिन
कायम हैं व्यापार  के रिश्ते. 

---देवेंद्र गौतम

15 टिप्‍पणियां:

  1. 'कायम हैं व्यापार के रिश्ते"

    ...............ये कही मार्के वाली बात|

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  2. गौतम जी ... सलाम है आपकी लेखनी को ... किसी एक शेर को आज कोट नही करूँगा ....
    सभी एक दूसरे को पीछे छोड़ रहे हैं .... छा गये आज तो ...

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  3. मौला तू कायम रहने दे
    मेरे-बरखुरदार के रिश्ते.

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  4. बहुत बेहतरीन गज़ल...पूरी की पूरी!!!

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  5. ये अपने विचारों का द्वन्द है ,
    जीने दो उसको जो स्वछन्द है |
    निराधार है सारी बातें ,
    जिसमें कोई सार नहीं |
    नाम के हैं सारे रिश्ते ,
    जिसमें प्यार नहीं , सत्कार नहीं |
    aapki rachna hame bahut hi khubsurat lagi dost :)

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  6. पढने को सौगात मिली है
    आज मुझे ईमेल के रश्ते

    नायाब शेरों से सजी लाजवाब ग़ज़ल - बधाई

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  7. बहूत अच्छा लिखा है आज के दौर में रिशतों की यही परिभाषा है।

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  8. खून के रिश्तों से भी ज्यादा
    गहरे हैं व्यवहार के रिश्ते.

    धीरे-धीरे टूट रहे हैं
    आंगन से दीवार के रिश्ते.

    पूरी ग़ज़ल ही बेहद ख़ूबसूरत है लेकिन इन अश’आर की तारीफ़ के लिये अल्फ़ाज़ ढूंढ रही हूं
    बहुत उम्दा !!!!!!!

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  9. बहुत बढ़िया..पूरी ग़ज़ल...हर शेर लाजवाब...

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  10. Rishton ki gahri paribhasha ki vyakhya shabdon se gahra rishta banati gajal...lajabav...

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  11. सबकी आंखों में खटकेंगे
    हम दोनों के प्यार के रिश्ते.

    बधाई ....
    ये pyaar bnaa rahe ......
    :))

    जवाब देंहटाएं
  12. :))

    सबकी आंखों में खटकेंगे
    हम दोनों के प्यार के रिश्ते.


    बधाई हमारी ओर से भी ....
    ये pyaar bnaa rahe ......
    :))


    जवाब देंहटाएं
  13. रोज़ तराजू मी----
    और धीरे धीरे टूट रहे हैं----
    नहुत खूबसूरत शेर हैं सुन्दर गज़ल के लिये बधाई।

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  14. खून के रिश्तों से भी ज्यादा
    गहरे हैं व्यवहार के रिश्ते.

    वाह...वाह...वाह... क्या बात कही...
    सभी के सभी शेर मन मोहने वाले...
    बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...

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कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
---ग़ालिब

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